वक्तृत्व प्रतियोगिता में हिंदी-उर्दू की अनदेखी! JSS अध्यक्ष ने उठाई आवाज़ – “भाषाई भेदभाव बर्दाश्त नहीं”
अकोला – मिशन उड़ान के तहत अकोला पुलिस विभाग द्वारा आयोजित जिल्हास्तरीय आंतरशालेय वक्तृत्व स्पर्धा 2025 को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। प्रतियोगिता में सिर्फ मराठी और अंग्रेज़ी भाषा को शामिल किए जाने पर जन सत्याग्रह संगठन (JSS) ने तीखी आपत्ति जताई है।
JSS के अध्यक्ष आसिफ अहमद खान ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए अकोला पुलिस अधीक्षक को व्हाट्सऐप के माध्यम से निवेदन भेजा और साफ कहा कि – “अकोला में हिंदी और उर्दू भाषी विद्यार्थियों की भारी संख्या है। इन भाषाओं को प्रतियोगिता से बाहर रखना न सिर्फ भाषाई अन्याय है, बल्कि संविधान में दिए गए भाषाई अधिकारों का भी हनन है।”
उन्होंने पुलिस प्रशासन से मांग की कि मराठी और अंग्रेज़ी के साथ-साथ हिंदी और उर्दू में भी वक्तृत्व की अनुमति दी जाए, ताकि सभी विद्यार्थियों को बराबरी का अवसर मिल सके।
इस मुद्दे ने विद्यार्थियों, अभिभावकों और सामाजिक संगठनों में बहस छेड़ दी है। कई लोगों का कहना है कि अकोला जैसे बहुभाषी जिले में सिर्फ दो भाषाओं तक प्रतियोगिता को सीमित करना “भाषाई भेदभाव” की सीधी मिसाल है।
अब सबकी निगाहें अकोला पुलिस प्रशासन पर टिकी हैं कि क्या वे इस “भाषाई समानता” की मांग को मानकर नियमों में बदलाव करेंगे या नहीं।
