अकोला न्यूज़ - टमाटर के आंसू और किसानों की मजबूरी
अकोला न्यूज़ - टमाटर किसान आज जिस संकट से गुजर रहे हैं, वह सिर्फ कीमतों की गिरावट नहीं, बल्कि व्यवस्था के पतन की कहानी भी है। कुछ महीने पहले जो टमाटर 200 रुपये किलो था, वह अब 5 रुपये किलो बिकने को मजबूर है। यानी किसान की मेहनत का दाम मंडी में गिर चुका है, लेकिन उसका कर्ज, उसका खर्च और उसकी तकलीफ जस की तस बनी हुई है।
अकोला के किसान अपनी उपज को औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं। मंडी तक ले जाने का खर्च इतना ज्यादा है कि कई किसान खेत में ही फसल छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। सरकार की योजनाएँ, सब्सिडी और समर्थन मूल्य की बातें फाइलों में हैं, लेकिन ज़मीन पर किसान अकेला है।
हर साल यही कहानी दोहराई जाती है। जब कीमतें बढ़ती हैं, तो बिचौलियों की चांदी होती है, और जब गिरती हैं, तो किसान को बर्बाद कर जाती हैं। सवाल ये है कि टमाटर सस्ता हुआ, लेकिन क्या आपके होटल और बाजारों में टमाटर की चटनी सस्ती हुई? अगर नहीं, तो फिर मुनाफा कौन खा रहा है?