वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गूंज, कई राजनैतिक और धार्मिक संगठन मैदान में
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गूंज, कई राजनैतिक और धार्मिक संगठन मैदान में
✍️ रिपोर्ट: Aam Khabar डेस्क | 📅 तारीख: 10 अप्रैल 2025
नई दिल्ली: वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर देश में विवाद गहराता जा रहा है। इस अधिनियम के खिलाफ अब तक देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों, धार्मिक संगठनों और सामाजिक संस्थाओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह नया कानून मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
कौन-कौन पहुंचे सुप्रीम कोर्ट?
✅ DMK (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) – तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी ने इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताया और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
✅ AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी – ओवैसी ने इस कानून को धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात बताया।
✅ कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद – उन्होंने इसे असंवैधानिक बताते हुए अदालत में चुनौती दी।
✅ AAP विधायक अमानतुल्लाह खान – दिल्ली के ओखला क्षेत्र से विधायक अमानतुल्लाह खान ने इसे मुस्लिम हितों के खिलाफ बताया।
✅ जमीयत उलेमा-ए-हिंद – मौलाना अरशद मदनी के नेतृत्व में संस्था ने इसे “शरई मामलों में दखल” करार दिया।
✅ इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) – पार्टी ने कहा कि यह कानून धार्मिक स्वायत्तता पर असंवैधानिक हमला है।
✅ सामसथा केरल जामियतुल उलेमा – केरल की इस संस्था ने भी अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
✅ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) – बोर्ड का तर्क है कि यह अधिनियम मुस्लिमों की धार्मिक आज़ादी में हस्तक्षेप करता है।
✅ APCR (एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स) – नागरिक अधिकारों की इस संस्था ने इसे संविधान के खिलाफ बताया।
क्या है मामला?
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में केंद्र सरकार के अधिकारों को बढ़ाया गया है, साथ ही वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान भी जोड़ा गया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इससे वक्फ की स्वायत्तता समाप्त हो जाएगी और यह मुस्लिम धार्मिक परंपराओं में सीधा हस्तक्षेप है।
सरकार का पक्ष
सरकार का कहना है कि यह अधिनियम पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है। लेकिन विपक्ष और मुस्लिम संगठनों का कहना है कि इसका मकसद वक्फ संपत्तियों पर सरकारी कब्जा जमाना है।